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प्रदेश के निजी विद्यालय आरटीआई के दायरे में : RTI के तहत मांगी गई सूचना देने के लिए होंगे बाध्य

उत्तर प्रदेश के सभी निजी विद्यालय सूचना अधिकार अधिनियम के दायरे में माने जाएंगी। राज्य सूचना आयुक्त प्रमोद कुमार तिवारी ने बुधवार को संजय शर्मा बनाम जन सूचना अधिकारी/मुख्य सचिव उप्र शासन की अपील के निस्तारण में यह व्यवस्था दी है। उन्होंने मुख्य सचिव उप्र शासन को संस्तुति की है कि जन सूचनाओं की महत्ता को देखते हुए निजी विद्यालयों के प्रबंधकों को भी जन सूचना अधिकारी घोषित करने की व्यवस्था करें।
अपीलार्थी संजय शर्मा ने लखनऊ के दो प्रतिष्ठित निजी विद्यालयों के विषय में आरटीआई एक्ट के तहत राज्य सूचना आयोग लखनऊ में द्वितीय अपील की थी। इसमें कहा गया था कि यदि निजी विद्यालयों की स्थापना के लिए रियायती दरों पर विकास प्राधिकरण भूमि उपलब्ध कराता है तो सर्वोच्च न्यायालय के डीएवी कॉलेज ट्रस्ट एंड मैनेजमेंट सोसायटी एवं अन्य बनाम डायरेक्टर ऑफ पब्लिक इंसट्रक्शन व अदर्स में प्रतिपादित विधि अनुसार विद्यालय राज्य से पर्याप्त रूप से वित्त पोषित समझे जाएंगे।

आयोग ने इस वाद में यह प्रतिपादित किया कि वर्ष 2009 में नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के लागू होने के बाद ऐसे सभी स्कूल जो उपरोक्त अधिनियम से आच्छादित हैं। साथ ही वह अधिनियम एवं उप्र नि:शुल्क, अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार नियमावली-2011 के प्रपत्र-1 एवं 2 में वर्णित सूचनाएं जिला शिक्षाधिकारी को सूचनाएं देते हैं। ऐसी स्थिति में जिला शिक्षाधिकारी सभी सूचनाओं को आरटीआई एक्ट की धारा-6(1) के तहत मांगे जाने पर याची को देने के लिए बाध्य है। उल्लेखनीय है कि निजी विद्यालय सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के तहत इस आधार पर सूचना नहीं देते थे कि वे राज्य से वित्त पोषित नहीं हैं और अधिनियम की परिधि से बाहर हैं।

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