मऊ। कुपोषित बच्चों, गर्भवती और धात्री महिलाओं को स्वस्थ रखने की शासन की मंशा परवान चढ़ती नजर नहीं आ रही है। इसमें कर्मचारियों के रवैये और उनके खाली पद बाधा बनकर सामने आ रहे हैं। जनपद में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के पद 2587 तथा 2362 सहायिकाओं के पद हैं। जबकि इनके सापेक्ष 225 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और 510 सहायिकाओं के पद पिछले काफी समय से खाली चल रहे हैं।
जिले में अतिकुपोषित बच्चों की संख्या सितंबर माह तक 4,939 है। जबकि कुपोषित बच्चों की कुल संख्या 27,872 है। इन्हें स्वस्थ रखने का जिम्मा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं की है। लेकिन कार्यकर्ताओं सहायिकाओं की कमी रोड़ा बन रही है। जिले में कुल 2587 आंगनबाड़ी केंद्र खोले गए हैं। जहां आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं की नियुक्ति की गई है। लेकिन 225 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और 510 सहायिकाओं के पद काफी समय से रिक्त हैं।
कोपागंज ब्लाक क्षेत्र में 12 आंगनबाड़ी और 28 सहायिकाओं के पद खाली है। घोसी में 12 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और 27 सहायिका, मुहम्मदाबाद गोहना में 23 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और 77 सहायिका रानीपुर में 31 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और 68 सहायिका, रतनपुरा में 25 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और 66 सहायिका बड़रांव में छह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और 15 सहायिका पद रिक्त है। जबकि परदहां ब्लाक क्षेत्र में 30 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और 78 सहायिकाओं का पद रिक्त है। ऐसे में कुपोषित बच्चों, गर्भवती और धात्री महिलाओं को स्वस्थ रखने की शासन की मंशा पूरी होती नजर नहीं आ रही है।