उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (Uttar Pradesh Public Service Commission) ने कई प्रमुख परीक्षाओं के अंतिम चयन परिणाम जारी कर दिए, लेकिन संशोधित एवं अंतिम उत्तरकुंजी जारी नहीं की। अभ्यर्थियों ने अंतिम उत्तरकुंजी जारी किए जाने की मांग को लेकर आयोग में कई बार ज्ञापन सौंपा, लेकिन जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो अभ्यर्थियों ने अब न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। इस मसले पर अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है।
यूपीपीएससी की 29 अगस्त 2014 को हुई बैठक में निर्णय लिया गया था कि प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नों पर आपत्ति लेते हुए उनका निस्तारण किया जाएगा और प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम के साथ ही संशोधित एवं अंतिम उत्तरकुंजी जारी की जाएगी। इस निर्णय के बाद हुई परीक्षाओं में आयोग ने परिणाम के साथ ही संशोधित एवं अंतिम उत्तरकुंजी जारी की। अभ्यर्थियों का आरोप है कि पिछले कुछ वर्षों में आयोग ने अपने ही निर्णय का उल्लंघन किया और प्रांरभिक परीक्षा के बाद अंतिम चयन परिणाम भी घोषित कर दिया, लेकिन अंतिम उत्तरकुंजी जारी नहीं की।
कई परीक्षाएं हुईं लेकिन नहीं जारी की गई उत्तरकुंजीआयोग ने पीसीएस-2019 की प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम 18 फरवरी 2020, पीसीएस-2020 की प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम 11 अक्तूबर 2020, समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ)-2016 की प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम 28 अक्तूबर 2020 और आरओ/एआरओ-2017 की प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम 14 दिसंबर 2018 को जारी किया गया था। इसके बाद अंतिम चयन परिणाम भी घोषित कर दिए गए, लेकिन अभ्यर्थियों को अब भी अंतिम उत्तरकुंजी जारी होने का इंतजार है।
अभ्यर्थियों का कहना है कि अगर आयोग प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम के साथ उत्तरकुंजी जारी कर देता तो उन्हें यह पता चल जाता कि गलत प्रश्नों पर की गई आपत्तियों का निस्तारण हुआ या नहीं। यह भी मालूम हो जाता कि अभ्यर्थियों ने प्रश्नपत्र हल करने में कहां गलती की और इसी आधार पर अभ्यर्थी अन्य परीक्षाओं की बेहतर तरीके से तैयारी कर सकते हैं। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का कहना है कि आयोग में कई बार ज्ञापन दिया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आयोग ने अंतिम उत्तरकुंजी जारी नहीं की। ऐसे में अभ्यर्थियों को न्यायालय में याचिका दाखिल करनी पड़ी।