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दीवारें बताएंगी बेसिक स्कूलों में खर्च हुए धन का हिसाब

कुशीनगर के परिषदीय स्कूलों में होने वाले खर्च अब स्कूलों की दीवारों पर लिखे जाएंगे। खर्च का विवरण विद्यालय भवन के उस हिस्से पर अंकित रहेगा, जहां आसानी से सबकी नजर पड़ सके। जिले में इसे लेकर कवायद शुरू हो गई है। खर्च का विवरण लिखे जाने के पीछे मंशा सरकारी धनराशि के दुरूपयोग पर रोक लगाने के साथ-साथ स्कूल में हुए खर्च का विवरण सार्वजनिक करना है।

शासन ने दिए हैं कंपोजिट ग्रांट (Government has given composite grant)

परिषदीय स्कूलों में शैक्षिक वर्ष 2018-19 से शासन द्वारा छात्र संख्या के आधार पर कंपोजिट ग्रांट दिया जा रहा है। इस मद में मिलने वाली धनराशि स्कूलों में बेहतर शैक्षिक माहौल बनाने के अलावा हैंडवाश, साबुन, तौलिया, शीशा-कंघा, रैंप निर्माण, अग्निशमन यंत्र का रिफलिंग, रंगाई-पोताई में भी खर्च की जाती है। वहीं 10 फीसद धनराशि को स्वच्छता पर खर्च किए जाने का निर्देश है। स्कूलों में आए इस धनराशि के दुरूपयोग होने की शिकायतें मिलती रहतीं हैं।

राज्‍य परियोजना निदेशक ने दिए निर्देश (State Project Director gave instructions)

यह देखते हुए राज्य परियोजना निदेशक उप्र लखनऊ ने निर्देश दिया है कि कंपोजिट ग्रांट में मिली धनराशि काे किस मद में खर्च किया गया इसे स्कूलों की दीवारों पर पेंटिंग कराया जाए, इसके लिए विद्यालय के उस हिस्से के दीवार को चुना जाय जो सामने हो और वहां सर्वसाधारण की नजर आसानी से पड़ सके। पेंटिग उच्च गुणवत्ता वाले पेंट से कराया जाए, जिससे कि वह लंबे समय तक स्पष्ट रूप से दिखता रहे। इससे सरकारी धन के दुरूपयोग पर रोक लगेगी।

अभिभावक व ग्रामीण भी जान सकेंगे हिसाब (Parents and villagers will also be able to know the account)
इस व्यवस्था में अब अभिभावक व ग्रामीण भी स्कूल में आए धनराशि तथा सुंदरीकरण पर हुए खर्च का हिसाब जान सकेंगे। अब तक यह सुविधा नहीं थी। जिले में 286 जूनियर, 538 कंपोजिट तथा 1640 प्राथमिक सहित कुल 2464 स्कूल हैं। इन स्कूलों में बीते तीन वर्षों में मिली धनराशि व हुए खर्च का विवरण अब सभी के सामने होगा।

अधिकांश विद्यालयों में दीवार पर अंकित हो चुका है खर्च (In most of the schools the expenditure has been marked on the wall.)
बीएसए विमलेश कुमार ने बताया कि तीन वर्षों में स्कूलों में मिले कंपोजिट ग्रांट व हुए खर्च का विवरण दीवारों पर पेंट से लिखवाने के निर्देश सभी प्रधानाध्यापकों को दे दिए गए हैं। अधिकांश विद्यालयों में खर्च का विवरण अंकित भी हो गया है। जहां नहीं हुआ है वह शीघ्र अंकित कराने को कहा गया है।

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