When the order to stop the salary of absent teachers was issued, the teacher leaders got angry and said - no explanation will be given
बरेली,। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से शुक्रवार को स्कूलों का निरीक्षण करने के बाद अब अनुपस्थित मिलने पर 183 शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई कर वेतन और मानदेय रोकने का आदेश जारी हो गया है। इससे शिक्षकों के साथ ही शिक्षक नेताओं में रोष है। शिक्षक नेताओं का कहना है कि चुनाव प्रशिक्षण, टीकाकरण के लिए छात्रों का ब्योरा तैयार करने में जुटे शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने का क्या औचित्य है। कोई शिक्षक स्पष्टीकरण नहीं देगा।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विनय कुमार के अनुसार जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी के निर्देश पर परिषदीय स्कूलों में निरीक्षण कराया गया था। इस दौरान शिक्षकों के अलावा, शिक्षामित्र, अनुदेशक और अनुचर भी अनुपस्थित मिले थे। इस संबंध में पत्र जारी कर उनका स्पष्टीकरण मांगा गया है। हालांकि इससे पूर्व नवंबर माह में भी लगभग 70 स्कूलों में अनुपस्थित पाए गए शिक्षकों के विरूद्ध कारवाई हुई थी। उनका कहना है कि स्कूलाें में कोई रोस्टर लागू नहीं है। वहीं अगर कोई शिक्षक विभागीय कार्य से बाहर है तो उसे उस समय पर स्कूल में जानकारी देकर जाना चाहिए ताकि औचक निरीक्षण पर कोई आता है तो उसे शिक्षक के संबंध जानकारी हो सके।
कोई शिक्षक नहीं देगा स्पष्टीकरण: स्कूल में निरीक्षण और फिर शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांग कर उनके खिलाफ कार्रवाई के मामले ने तूल पकड़ लिया है। उप्र जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के मंडलाध्यक्ष डा. विनोद कुमार शर्मा का कहना है कि 30 जनवरी तक शासन की ओर से छुट्टियों के आदेश हैं। ऐसे में शिक्षकों को स्कूल में बुलाने का क्या मतलब। शनिवार को संगठन के पदाधिकारियों ने विकास भवन में सीडीओ से वार्ता कर इस संबंध में स्पष्ट आदेश जारी कराने की मांग की है। इस दौरान मानवेंद्र यादव, कृष्ण गोपाल चतुर्वेदी, पंकज यादव, विपिन शंखधार आदि मौजूद रहे।
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