BTC chai wali dominated social media, took the exam in the morning, took over the tea shop in the evening
डिग्री का लोग मजाक बनाते हैं, इसलिए उसने स्टॉल का नाम रखा बीटीसी चाय वाली। इसमें उसे कोई झिझक व शर्म भी नहीं है, बल्कि इसे वह स्वाभिमान और मजबूत इरादे से लिया गया निर्णय बताती है। रविवार को वह सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा समाप्त होने के बाद अपने काम में जुट गई। यहां हम बात कर रहे हैं अलीगंज में रहने वाली सृष्टि वर्मा की जो ट्विटर, इंस्टाग्राम, यू ट्यूब पर अपने काम से सुर्खियों में है।
सृष्टि वर्मा ने 2017 में मैथ्स व फिजिक्स में बीएससी के बाद 2019 में बीटीसी उत्तीर्ण की। सीटेट की प्राइमरी व जूनियर लेवल की परीक्षा उत्तीर्ण कर चुकी है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है। वह अपने निवास स्थान पर बीटीसी चायवाली के नाम से स्टॉल लगाकर महिला सशक्तीकरण की मिशाल बनी हुई है।
अप्रैल के प्रथम सप्ताह में उसने इसकी शुरूआत की और दो महीने में ही सोशल मीडिया पर वह चर्चा का विषय बन गई है। चाय-काफी के साथ फास्ट फूड के कुछ व्यंजन भी बनाती है। दूसरे जिलों से भी लोग उसके स्टॉल पर आ रहे हैं।
परिवार के लिए खोला यह स्टॉल
सृष्टि ने बताया कि पिता स्वर्गीय वासुदेव प्रसाद वर्मा बाराबंकी बिटरिया स्थित कॉलेज में लेक्चरार थे। 2001 में उनका निधन हो गया। मां आशा वर्मा 2015 में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से शिक्षिका पद से सेवानिवृत्त हैं। एक बड़ा भाई जिसका विकास असामान्य है। सृष्टि कहती है कि आय का ऐसा साधन खड़ा करना चाहती हूं जो मेरे पीठ पीछे परिवार का सहारा बन सके।
मजबूरी में नहीं स्वाभिमान के साथ लिया निर्णय
उसके काम को लेकर कई लोग तरह-तरह के सवाल करते हैं। इस पर सृष्टि कहती हैं कि यह निर्णय सोच-समझकर स्वाभिमान के साथ लिया गया है।
विज्ञापन
स्टॉल का नाम बीटीसी चायवाली रखे जाने पर कहती हैं कि हर कोई नाम को लेकर मजाक बनाता है। तो सोचा नाम ऐसा हो जो चर्चा में हो। वह सुबह व शाम से रात तक स्टॉल चलाती हैं। दिन में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करती हैं।