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Parental care को मिल सकता है अवकाश, parliamentary committee ने नए कानून में इसे शामिल करने की सिफारिश की

माता-पिता की देखभाल को मिल सकता है अवकाश

🔴 इन्हें मिलेगी प्राथमिकता

• जिनके parents 80 years से ज्यादा के हैं या फिर वह Handicapped और गंभीर रूप से बीमार हैं।
• साथ ही ऐसे कर्मचारी जोकि अपने माता- पिता की इकलौती संतान हैं।

🔵 Caring for the elderly

• Ministry of Social Justice and Empowerment से जुड़ी संसदीय समिति ने नए कानून में इसे शामिल करने की सिफारिश की
• बजट सत्र में लाया जा सकता है संबंधित amendment bill committee ने की हैं कई अहम सिफारिशें
• 12 करोड़ में देश में बुजुगों की के करीब है मौजूदा कुल संख्या
• 18 करोड़ हो जाएगी 2026 तक, 2050 में इसके 33 करोड़ होने का अनुमान

नई दिल्ली : देश में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या के साथ ही उनकी देखभाल का भी एक बड़ा संकट पैदा होने लगा है। खासकर ऐसे परिवार और बुजुर्ग जिनकी सिर्फ एक संतान है, वहां यह संकट और भी गंभीर हो जाता है। फिलहाल बुजुर्गों की देखभाल से जुड़ी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए Ministry of Social Justice and Empowerment से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने बच्चों की देखभाल (child care) सहित दूसरे family obligations के निर्वहन के लिए दिए जाने वाले अवकाशों की तरह सरकारी कर्मचारियों को बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल के लिए भी अवकाश देने की सिफारिश की है। समिति ने इसके अलावा भी कई अहम सिफारिशें की हैं।


संसदीय समिति ने बुजुर्ग माता- पिता की देखभाल के लिए अवकाश से जुड़ी यह अहम सिफारिश तब की है, जब Ministry of Social Justice and Empowerment आने वाले बजट सत्र में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण और कल्याण से जुड़े नियमों में बदलाव को लेकर एक नया विधेयक लाने की तैयारी में है।

वर्ष 2007 में बने मौजूदा कानून में बदलाव की पहल वैसे तो वर्ष 2019 में की गई थी और संसद में इसे लेकर उस समय विधेयक भी लाया गया था, मगर बाद में उसे संसदीय समिति को भेज दिया गया था। इस दौरान समिति ने proposed bill और बुजुर्गों के जुड़ी मौजूदा समस्याओं को देखते हुए अलग-अलग चरणों में कई सुझाव दिए हैं।

इनमें जो अहम सुझाव है, उनमें माता-पिता अब सिर्फ अपने जैविक बच्चों से ही गुजारा भत्ता लेने के हकदार नहीं होंगे बल्कि इनमें नाती-पोते, दामाद या फिर ऐसे सगे-संबंधी भी शामिल होंगे जोकि उनकी संपत्ति के दावेदार होंगे। इसके अलावा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम सहित सभी hospitals में बुजुर्गों के उपचार की व्यवस्था रखने और सभी जिलों में बुजुर्गों की संख्या के हिसाब से old age homes का निर्माण करने जैसी सिफारिशें भी की गई हैं। देश में बुजुर्गों की देखभाल से जुड़ी सारी व्यवस्था को government check कर लेना चाहती है।

हैसियत के हिसाब से ले सकेंगे alimony

बुजुर्गों की देखभाल से जुड़े नए प्रस्तावित विधेयक के तहत बुजुर्ग को अपने बच्चों से उनकी हैसियत के हिसाब से गुजारा भत्ता पाने का अधिकार होगा। अभी तक इसकी Maximum limit ten thousand rupees ही थी। इसके साथ ही, बच्चों को अब तय होने वाला गुजारा भत्ता हर हाल में उन्हें देना ही होगा। ऐसा न करने पर उन्हें जुर्माना या छह महीने की जेल या दोनों सजा हो सकती हैं। प्रत्येक पुलिस थाने में भी एक sub-inspector rank का अधिकारी बुजुर्गों से जुड़े मामलों को देखने के लिए विशेष रूप से नियुक्त होगा

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