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शिक्षक सेवा नियमावली में संशोधन को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती,याचिका दाखिल

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ उत्तर प्रदेश अधीनस्थ शैक्षिक (प्रशिक्षित स्नातक ग्रेड) सेवा नियमावली, 1983 में किए गए संशोधन को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। संशोधित नियमावली में सहायक अध्यापक कंप्यूटर के पद पर नियुक्ति के लिए बीएड की अनिवार्यता को समाप्त कर अधिमान्य योग्यता बना दिया गया है। इसे लेकर प्रवीण सिंह और दो अन्य ने याचिका दाखिल की है।

न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रवीन कुमार गिरि की खंडपीठ ने राज्य सरकार और चयन आयोग से जवाब मांगा है। चूंकि याचिका में कानून की वैधता को चुनौती दी गई है इसलिए कोर्ट ने महाधिवक्ता को भी नोटिस जारी किया है।

याचिका में कहा गया है कि एनसीटीई विनियमों के तहत बी.एड. एक अनिवार्य योग्यता है। और संशोधित नियमों में सहायक अध्यापक कंप्यूटर के लिए इसे समाप्त करना कानून के विपरीत है। याचियों का कहना है कि 2014 के एनसीटीई रेगुलेशन में भी एक अलग पाठ्यक्रम का प्रावधान है। नए संशोधन से विरोधाभास पैदा हो गया है। कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश अधीनस्थ शिक्षा (प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी) सेवा नियमावली 1983 को संशोधित कर उत्तर प्रदेश अधीनस्थ शिक्षा (प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी) नियमावली 2024 तैयार की है ।जिसका गजट नोटिफिकेशन 30 जनवरी 2025 को जारी किया गया। एनसीटीई के प्रावधानों के अनुसार राज्य सरकारें अर्हता संबधी नियमों में छूट प्रदान नहीं कर सकती हैं। एनसीटीई के नियमों के अनुसार प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी के शिक्षकों की भर्ती हेतु बीएड अनिवार्य है। लेकिन उत्तर प्रदेश अधीनस्थ शिक्षा (प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी) नियमावली 2024 में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ शिक्षा (प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी) सेवा नियमावली 1983 को संशोधित कर कंप्यूटर विषय हेतु बीएड की अर्हता की अनिवार्यता को समाप्त कर उसकी जगह अधिमानी कर दिया गया है। याचियों का कहना है कि यह एनसीटीई रेगुलेशन के विपरीत है।

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