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स्कूल विलय : एक नहीं, दो स्कूलों में पढ़ाएंगे शिक्षक

मंझनपुर (कौशाम्बी)। स्कूलों के विलय के बाद बदली व्यवस्था के तहत अब शिक्षकों को दो स्कूलों में पढ़ाना होगा। जिस स्कूल में विलय हुआ और अपने मूल विद्यालय में, जिसे बाल वाटिका बनाया गया है। इसके लिए शासनादेश जारी कर दिया गया है। फिलहाल, नई व्यवस्था का विरोध करते हुए शिक्षक संघ ने इसे अव्यवहारिक बताया है।


कौशाम्बी के 95 परिषदीय विद्यालय ऐसे हैं, जहां छात्र संख्या 50 से कम है। इन स्कूलों का एक किमी के दायरे में आने वाले दूसरे विद्यालयों में विलय किया गया है। यहां तैनात शिक्षकों को दूसरे विद्यालयों में भेजा गया है। खाली हुए विद्यालय में बाल वाटिका का संचालन किया जाना है। इनके लिए एजुकेटर की नियुक्त करने की योजना बनी थी लेकिन अब तक तैनाती नहीं हो सकी।

अब शासन ने विलय के बाद खाली हुए स्कूलों में पूर्व में तैनात रहे शिक्षकों को ही पढ़ाने की जिम्मेदारी दी है। राज्य परियोजना कार्यालय ने इसके लिए आदेश जारी करते हुए कहा कि जिन स्कूलों के शिक्षकों को पास के दूसरे विद्यालय में तैनाती मिली है उनको पूर्व के विद्यालय में प्रतिदिन जाना होगा और शिक्षण कार्य करना होगा।

शिक्षकों ने बाल वाटिका में शिक्षण कार्य करने का विरोध किया है। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिला संयोजक ओमदत्त त्रिपाठी का कहना है कि स्कूलों का विलय करना सरकार का फैसला था। अब वहां से शिक्षक को हटाने के बाद दोबारा उसी विद्यालय में शिक्षण कार्य कराना उचित नहीं है। शिक्षक इसका विरोध करेंगे। वहीं प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष अनिल कुमार सिंह का कहना है कि शिक्षक संघ इस व्यवस्था का विरोध करता है। यह आदेश पूरी तरह से अव्यवहारिक है।

क्या है बाल वाटिका : बीएसए ने बताया कि वाल बाटिका को दूसरे शब्दों में आंगनबाड़ी केंद्र कहा जा सकता है। यहां छोटे बच्चों को खेल आधारित शिक्षा, सृजनात्मक गतिविधियों और सामाजिक संपर्क को एकीकृत करने वाले एक प्रारंभिक शिक्षा कार्यक्रम के माध्यम से शिक्षा दी जाएगी। तीन से छह साल के बच्चों को शारीरिक, भावनात्मक, संज्ञानात्मक और सामाजिक विकास पर जोर देते हुए इनका संचालन होगा।

271 शिक्षकों की नई जगह तैनाती विलय के बाद 271 शिक्षकों को बच्चों के साथ विलय वाले विद्यालय में भेजा गया है। विलय वाले विद्यालय में जहां पहले से ही अधिक शिक्षक हैं तो विलय से बढ़े शिक्षकों को दूसरे विद्यालय में भी भेजा गया है पर इनकी संख्या बेहद कम है।

शासन के आदेश का पालन होगा। किसी प्रकार की लापरवाही नहीं होने पाएगी। इस संबंध में जरूरत पड़ी तो शिक्षकों से वार्ता भी की जाएगी। डॉ. कमलेंद्र कुशवाहा, बीएसए

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