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सरकारी वकीलों की नियुक्ति में राजनीतिक हैसियत व वंशवाद का बोलबाला : हाईकोर्ट

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी वकीलों की नियुक्ति पर तल्ख टिप्पणी है। कहा कि सरकारी वकीलों की नियुक्ति में राजनीतिक हैसियत और वंशवाद का बोलबाला है। इससे पहली पीढ़ी के प्रतिभाशाली अधिवक्ताओं को मौका नहीं दिया जाता। यह परंपरा न्याय की जड़ों को खोखली कर रही है।


यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अजय

भनोट की अदालत ने झांसी निवासी जुबैदा बेगम की ओर से राज्य परिवहन निगम के खिलाफ दाखिल याचिका पर की है। याचिका के मुताबिक याची जुबेदा बेगम ने झांसी के श्रम न्यायालय में उप्र राज्य

परिवहन निगम के खिलाफ वाद दाखिल किया था। 2015 में याची के पक्ष में फैसला सुनाया गया लेकिन निगम की ओर से फैसले का क्रियान्वयन नहीं किया गया। इसके खिलाफ याची ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

कोर्ट के आदेश पर अदालत ने पेश राज्य परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक मंसूर अली सरवर ने बताया कि निगम के अधिवक्ताओं की लापरवाही की वजह से आदेश का पालन नहीं हो सका। जांच में पता चला कि यह समस्या व्यावसायिक लापरवाही और गलत नियुक्ति प्रणाली के कारण उत्पन्न हुई है। उन्होंने कोर्ट को आश्वासन दिया कि भविष्य में योग्य वकीलों को ही प्राथमिकता दी जाएगी।

निगम को ऐसा तंत्र विकसित करना चाहिए जिसमें पारदर्शिता हो, मेरिट को प्राथमिकता दी जाए, युवा व प्रथम पीढ़ी के वकीलों को भी उचित अवसर मिले। इसके लिए निगम 22 सितंबर से पहले बोर्ड की बैठक कर नियुक्ति की पारदर्शी योजना को अंतिम रूप देकर अदालत में हलफनामा दाखिल करे। - इलाहाबाद हाईकोर्ट

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