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रेपो रेट घटा, लोन सस्ते होंगे, वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाया गया; जानिए आरबीआई एमपीसी की 10 बड़ी बातें

भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय वर्ष 2025-26 की अपनी पांचवीं मौद्रिक नीति बैठक (एमपीसी) के नतीजों का एलान कर दिया है। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को न केवल रेपो रेट में कटौती कर कर्जदारों को राहत देने की खबर दी, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर एक बेहद शानदार तस्वीर भी पेश की है। केंद्रीय बैंक के मुखिया मल्होत्रा मौजूदा स्थिति को 'गोल्डीलॉक्स' काल बताया है। अर्थशास्त्र की भाषा में यह वह स्थिति होती है जब इकोनॉमी में न तो बहुत ज्यादा तेजी होती है और न ही बहुत अधिक मंदी, बल्कि सब कुछ 'बिल्कुल सही' संतुलन में होता है।

RBI की बैठक के निचोड़ और आपके काम की 10 बड़ी बातें यहां आसान भाषा में समझें:

1. ब्याज दरों में कटौती से लोन की घट सकती है ईएमआई

गवर्नर को उम्मीद है कि रेपो रेट में किए गए बदलाव का असर लंबी अवधि की ब्याज दरों पर भी पड़ेगा। आसान शब्दों में कहें तो, आरबीआई द्वारा सस्ता किए गए कर्ज का फायदा बैंक अब होम लोन या बिजनेस लोन की ब्याज दरें घटाकर ग्राहकों को दे सकते हैं।

ग्राहकों को कितने रुपये की हो सकती है बचत

यदि किसी ने 50 लाख रुपये का लोन 8.5 प्रतिशत की ब्याज दर से 20 साल के लिए लिया है और आरबीआई यदि 0.25 प्रतिशत की कटौती की घोषणा करती है तो उसकी ईएमआई कम हो जाएगी, जैसे कि पुराने ब्याज दर 8.5 प्रतिशत पर 43,391 रुपये की ईएमआई देनी पड़ती है, और ब्याज दरों पर कटौती के बाद नई ब्याज 8.25 प्रतिशत पर 42,603 रुपये हो जाएगी, जिसमें महीने में 788 रुपये की बचत और साल भर में 9,456 रुपये की बचत होगी। यदि आप ने 5 लाख रुपये का कार लोन 12 प्रतिशत की ब्याज दर पर लिया है तो 11,282 रुपये पुरानी ईएमआई पर देने पड़ रहे हैं, यदि कटौती हुई तो कार लोन की नई ईएमआई 11,149 रुपये होगी। जिसमें 133 रुपये महीने के और साल भर में 1,596 रुपये की बचत होगी।

2. भारतीय इकोनॉमी का 'गोल्डीलॉक्स' मूमेंट

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि वित्त वर्ष की पहली छमाही में 8% की जीडीपी ग्रोथ और कम होती महंगाई दर एक आदर्श स्थिति है। इसे उन्होंने 'गोल्डीलॉक्स' काल कहा है। इसका मतलब है कि भारत तेज विकास की पटरी पर है और महंगाई भी काबू में है, जो भविष्य के लिए बहुत अच्छा संकेत है।

3. जीडीपी ग्रोथ का अनुमान बढ़ाया

अर्थव्यवस्था की मजबूती को देखते हुए आरबीआई ने पूरे वित्त वर्ष 2026 (FY26) के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान बढ़ा दिया है। आरबीआई ने पूर्व में 6.8% की वृद्धि दर का अनुमान जताया था। अब इसे बढ़ाकर 7.3% कर दिया गया है। केंद्रीय बैंक का मानना है कि विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में जारी तेजी से विकास दर अनुमान से बेहतर रहेगी।

4. महंगाई के मोर्चे पर बड़ी जीत

आम आदमी के लिए सबसे अच्छी खबर महंगाई के मोर्चे पर है। गवर्नर ने कहा कि अक्तूबर के बाद से महंगाई में तेजी से गिरावट आई है। नए अनुमानों में आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई का अनुमान 2.6% से घटाकर अब सीधा 2% कर दिया है। इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में आपकी जेब पर बोझ और कम हो सकता है।

5. पॉलिसी का रुख: 'न्यूट्रल'

तीन दिन तक चली बैठक में एमपीसी ने सर्वसम्मति से अपना रुख 'न्यूट्रल' या तटस्थ रखने का फैसला किया है। इसका मतलब यह है कि आरबीआई अब सिर्फ महंगाई को रोकने पर ही फोकस नहीं कर रहा, बल्कि वह ग्रोथ को भी सपोर्ट करने के लिए तैयार है। यह भविष्य में ब्याज दरों में और कमी या स्थिरता का संकेत देता है।

6. मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज में दम

गवर्नर ने बताया कि देश की मैन्युफैक्चरिंग (विनिर्माण) गतिविधियों में सुधार लगातार जारी है। वहीं, सर्विस सेक्टर भी स्थिर गति से बढ़ रहा है। ये दोनों सेक्टर रोजगार और अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, और इनका अच्छा प्रदर्शन करना सुखद संकेत है।

7. तीसरी तिमाही में भी रहेगी तेजी

अगर आपको लगता है कि त्योहारों के बाद मांग घटेगी, तो आरबीआई ऐसा नहीं मानता। गवर्नर के मुताबिक, 'हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स' (जैसे बिजली की मांग, गाड़ियों की बिक्री आदि) यह इशारा कर रहे हैं कि वित्त वर्ष 2026 की तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर) में भी आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी रहेंगी।

8. फॉरेक्स रिजर्व की मजबूती बरकरार

भारत की बाहरी सुरक्षा भी बेहद मजबूत है। आरबीआई गवर्नर ने बताया कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेक्स रिजर्व) 686 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया है। यह इतना पैसा है कि हम आराम से अगले 11 महीने का आयात बिल चुका सकते हैं। यह रुपये को स्थिरता देने के लिए काफी है।

9. बैंक मजबूत, पर ग्राहक का रखें ध्यान

संजय मल्होत्रा ने कहा कि भारतीय बैंकों की सेहत और मुनाफा दोनों मजबूत हैं। हालांकि, उन्होंने बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को एक सख्त सलाह भी दी। आरबीआई गवर्नर ने कहा, "ग्राहकों को अपनी नीति और कामकाज के केंद्र में रखें।" यानी बैंक सिर्फ मुनाफे पर नहीं, बल्कि ग्राहकों की सुविधाओं और हितों पर ध्यान दें।

10. बाजार में पैसे की कमी नहीं होगी

त्योहारी सीजन और क्रेडिट की मांग को देखते हुए आरबीआई ने भरोसा दिलाया है कि वह बैंकिंग सिस्टम में पर्याप्त 'टिकाऊ तरलता' बनाए रखेगा। यानी बाजार में नकदी की किल्लत नहीं होने दी जाएगी ताकि लोन बांटने और बिजनेस चलाने में कोई रुकावट न आए। कुल मिलाकर, आरबीआई की यह पॉलिसी न सिर्फ कर्जदारों के लिए राहत भरी है, बल्कि यह भी बताती है कि दुनिया में चल रही उथल-पुथल के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था एक 'स्वीट स्पॉट' में खड़ी है

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