शिक्षामित्रों के लिए भारांक बना अभिशाप: अविचल की कलम से Shiksha Mitra, - Get Primary ka Master Latest news by Updatemarts.com, Primary Ka Master news, Basic Shiksha News,

शिक्षामित्रों के लिए भारांक बना अभिशाप: अविचल की कलम से Shiksha Mitra,

शिक्षामित्रों के लिए भारांक बना अभिशाप: अविचल की कलम से Shiksha Mitra,


आनंद यादव बनाम स्टेट ऑफ यूपी के मुकदमे में मुख्य न्यायमूर्ति डॉ चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायमूर्तियों की खण्डपीड ने शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर किया गया समायोजन संविदाकर्मी बताकर रद्द कर दिया था। फैसले के विरुद्ध उत्तर प्रदेश सरकार सर्वोच्च अदालत गयी तो सर्वोच्च अदालत ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षक का पक्ष लेकर उच्च न्यायालय के फैसले में दखल देने से इंकार कर दिया। सरकारी अधिवक्ता व शिक्षामित्रों के अधिवक्ताओं के निवेदन पर सर्वोच्च अदालत ने अगली दो भर्ती में शिक्षामित्रों को अवसर देने और सरकार चाहे तो उम्र में छूट और कुछ भारांक देने की राहत प्रदान कर दी। राज्य सरकार ने नियमावली में बीसवां संशोधन करके प्रतिवर्ष अनुभव पर ढाई अंक व अधिकतम पच्चीस अंक प्रदान करने का निर्णय लिया साथ ही परीक्षा कराने और उसका साठ फीसदी अंक और शैक्षिक मेरिट अंक का चालीस फीसदी देने का निर्णय किया। परीक्षा को रूल आठ में रखा गया था। रूल आठ 
योग्यता को स्पष्ट करता है इसलिए चुनौती होने पर सरकार ने बाइसवें संशोधन से परीक्षा को क्लॉज़ 14 में रख दिया। उम्र की छूट समायोजन के पूर्व ही दी गयी थी अतः सरकार ने उम्र का वर्णन करने वाले क्लॉज़ छः में कोई परिवर्तन नहीं किया।
रूल 2 के उप रूल 1 में सरकार ने X सब क्लॉज़ जोड़ा कि सरकार समय-समय पर उत्तीर्ण अंक में परिवर्तन करेगी।
68500 भर्ती में उत्तीर्ण अंक 45/40 फीसदी रखा तो उसे शिक्षामित्रों ने चुनौती दी और मामला विचाराधीन है, शिक्षामित्र के दबाव में परीक्षा के पूर्व सरकार ने उत्तीर्ण अंक 33/30 फीसदी कर दिया। बीटीसी ने बीच में परिवर्तन बताकर 33/30 फीसदी के शासनादेश को चुनौती दी तो एकल पीठ ने सरकार के इस आदेश पर स्थगन कर दिया और  कहा कि सरकार चाहे तो 45/40 फीसदी पर भर्ती को आगे बढ़ा सकती है। सरकार ने 45/40 फीसदी पर परिणाम जारी करके भर्ती कर दी।
सरकार ने एकल पीठ के अंतरिम फैसले को खण्डपीड में चुनौती दी तो न्यायमूर्ति श्री सबीबुल हसनैन और न्यायमूर्ति श्री राजन राय की पीठ ने बीटीसी के प्रशिक्षुओं से कहा कि आप सबका परिणाम 45/40 के ऊपर है तो 33/30 फीसदी वाले आपसे क्या प्रतिस्पर्धा कर पाएंगे, उनका तो आपके बाद ही चयन होगा? इस पर बीटीसी के अधिवक्ता ने बताया कि लॉर्डशिप कटऑफ कम करते ही 25 अंक भारांक का लाभ लेकर शिक्षामित्र हमें भर्ती से बाहर कर देंगे। इस पर खंडपीठ ने मामला एकल पीठ को निस्तारण के लिए भेज दिया। जो कि अब भी विचाराधीन है। इस तरह 25 अंक के भारांक ने कोर्ट को शिक्षामित्रों के प्रति नरम रुख नहीं अपनाने दिया और मुकदमे की मेरिट को तवज्जो दिया।
सरकार ने 69000 भर्ती का परीक्षा हेतु शासनादेश जारी किया और उत्तीर्ण अंक नहीं निर्धारित किया तो बीएड की तरफ से याचिकाएं दाखिल हुई तो सरकार ने परीक्षा के बाद उत्तीर्ण अंक निर्धारित किया। जिसे शिक्षामित्रों ने बीच खेल में नियम  परिवर्तन बताकर चुनौती दी है और सरकार ने जवाब में बताया कि उसे रूल 2(1)(X) में उत्तीर्ण अंक निर्धारित करने का अधिकार है एवं शिक्षामित्रों को 25 अंक का भारांक मिला है जो कि बहुत अधिक है, इसलिए समानता के लिए उत्तीर्ण अंक रखा गया है।
सवाल यह है कि सरकार की याचिका पर ही सर्वोच्च अदालत ने भारांक की छूट दी है और सरकार ने ही स्वेच्छा से अधिक भारांक देकर अब अधिक बता रही है। न्यायालय को अब निर्णय करना है कि उत्तीर्ण अंक कब निर्धारित किया जा सकेगा। यदि उत्तीर्ण अंक का आधार आवेदन है तो यह परीक्षा के पूर्व ही निर्धारित होना चाहिए था और उत्तीर्ण अंक का आधार परीक्षा परिणाम है तो यह परिणाम के बाद लागू होना चाहिए था। भारांक अधिक है यह सत्य है लेकिन भारांक के कारण बाहर करने का निर्णय उचित नहीं है। मगर इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारांक शिक्षामित्रों के लिए अब तक अभिशाप साबित हुआ है। बल्कि भारांक न होता तो और भी अधिक लोगों का चयन हुआ होता। भारांक और उत्तीर्ण अंक/ कटऑफ की याचिकाएं इलाहाबाद और लखनऊ दोनों जगह विचाराधीन हैं।
- अविचल

Politics news of India | Current politics news | Politics news from India | Trending politics news,

close